लेखनी कहानी -10-Feb-2023 फिर कब मिलोगी
फिर कब मिलोगी
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सुहानी की आज विदाई का दिन था। मनन उसका पहला प्यार सुहानी से केवल दो बात करना चाहता था। लेकिन सुहानी को उसकी सहेलिया व अन्य रिश्तेदार अकेला नहीं छोड़ रहे थे।
जैसे जैसे सुहानी की विदाई का समय नजदीक आरहा था बैसे ही मनन की बेचैनी बढ़ती जारही थी। जब मनन को कोई बहाना नहीं मिला तब मनन ने एक छोटे बच्चे को बुलाया और उसे एक चाकलेट देकर बोला ," बेटा आपका क्या नाम है ?"
" अंकुर सक्सैना"
बहुत सुन्दर नाम है अंकुर मेरा एक काम करदोगे ? यह कागज का टुकडा़ दुल्हन को देआओगे तब तुम्हें एक चाकलेट और मिलेगी।"
"ओह तो तुम एक चाकलेट से मुझसे जासूसी करवाना चाहते हो? नहीं ऐसा नही चलेगा हम मामाजी को बता देगे। कि हमसे ये अंकल जासूसी करवा रहे थे।"
" कोई बात नही पांच चाकलेट मिलेगी? अबतो ठीक है।"
अब तो चलेगा ! इतना कहकर उस बच्चे ने वह कागज का।टुकडा़ छीनकर एक मिनट में ही दुल्हन के हाथ में देकर वापिस आगया। और मनन से पांच चाकलेट लेकर चला गया।
सुहानी भी बाथरूम जाने के बहाने से अन्दर गयी और उस को पढ़ने लगी पर्ची पर केवल इतना लिखा हुआ था " सुहानी तुम फिर जब कभी मिलोगी उसका मै इन्तजार करूँगा।"
सुहानी ने बहुत ही परेशान होकर वह पर्ची फाड़कर पानी मे डालकर बहदी।
सुहानी की विदाई के दृश्य को मनन दूर खडा़ हुआ देखता रहा अपनी मुट्ठियां भींचकर वक्त को कोसता रहा। अब सुहानी पराई होगयी थी ।
सुहानी और मनन साथ साथ कालेज में पढ़ते थे। वैलेन्टाइनडे पर सब लड़के अपनी अपनी गर्ल फ्रैन्ड को कुछ न कुछ तोहफा देरहे थे। लेकिन मनन की कोई गर्ल फ्रैन्ड नही थी और न सुहानी का कोई बाय फ्रैन्ड था। मनन के दोस्त ने एक गुलाब का फूल देकर मनन को सूहानी को देने के लिए भेजा। पहले तो उसने लेने से इन्कार कर दिया।
मनन का मन उदास देखकर सुहानी ने वह पुष्प ले लिया। समय बीतता रहा । कुछ समय के बाद वह धीरे धीरे एक दूसरे के नजदीक आने लगे आपस में बातें करने लगे और यह मिलाप पता नही चला कब प्यार में बदल गया।
परन्तु दोनों ने इसका इजहार नही होने दिया। कालेज के बाद मनन दूसरे शहर पढा़ई करने चला गया इसी बीच सुहानी के घर वालौ ने सुहानी के लिए एक लड़का देख लिया। तब सुहानी ने ही मनन का फौन नम्बर लेकर उससे बात की और बताया कि मेरी शादी होने वाली है।
मनन ने हिम्मत करके सुहानी के पापा से बात की लेकिन उन्होंने उसे फटकार दिया और कभी दिखाई न देने का फरमान जारी कर दिया। मनन डर गया कि कही वह सुहानी को परेशान न करें। और वह आज सुहानी की विदाई देखता रहा।
सुहानी अपनी ससुराल पहुँची। सुहागरात से पहले ही सुहानी का पति अपनी बहिन को दिल्ली छोड़ने गया जब वह लौट रहा था तब उसके पति की कार का एक्सीडैन्ट होगया ओर उसकी मौत होगयी।
सुहानी पर तो दुःखौ का पहाड़ टूट पडा़ । सुहानी के ससुराल वाले सुहानी को ही दोषी ठहराने लगे। उसको नागिन है यह कलमुँही है ऐसे नामौ से सम्बोधित करने लगे।
अन्त में परेशान होकर सुहानी अपने मायके वापिस आगयी। जब इसकी खबर मनन को मिली वह बहुत दुःखी हुआ और उसने सुहानी के पापा से मिलकर सुहानी को अपनाने के लिए बोला। पहले तो सुहानी तैयार नही हुई।
परन्तु मनन व उसके मम्मी पापा के समझाने के बाद वह मान गयी और मनन उसे अपनी पत्नी बनाकर लेगया।
जब दोनों की सुहागरात थी तब सुहानी ने मनन को उसके द्वारा भेजे गये संदेश की याद दिलाई और हसते हुए बोली," मै तुम्है कभी नहीं इसी जन्म में मिलगयी अब तो खुश हो ।
"नहीं सुहानी ऐसी बात नहीं है मैने तुमसे प्यार किया था सौदा नहीं। तुम कहीं रहो खुश रहो। यदि मेरे दिल में पाप होता तो तुम्हें भगाकर भी लेजा सकता था लेकिन मैने तुम्हें इसके लिए रोका था। क्यौकि माँ बाप के आशीर्वाद के बिना किया काम कभी पूरा नहीं होता।"
सुहानी को भी याद आगया उसने मनन को भाग कर शादी करने की सलाह दी थी। परन्तु मनन ने साफ मना कर दिया था। उसने दूसरी तरह कोशिश की थी परन्तु सफल न होने पर सब्र कर लिया था।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना ।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
13-Feb-2023 11:42 AM
बेहतरीन प्रस्तुति
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Mahendra Bhatt
12-Feb-2023 12:45 PM
शानदार
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अदिति झा
11-Feb-2023 08:14 AM
Nice 👍🏼
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